कृष्ण की मूर्ति घर लाते समय ये 3 गलतियाँ भूलकर भी न करें

श्रीकृष्ण मूर्ति घर में स्थापना वास्तु टिप्स

कृष्ण की मूर्ति घर लाते समय ये 3 गलतियाँ भूलकर भी न करें: वास्तु शास्त्र और हिंदू परंपराओं की पूरी गाइड

हेलो दोस्तों! आज हम बात करेंगे एक ऐसे टॉपिक पर, जो हर उस व्यक्ति के लिए बेहद खास है जो अपने घर में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति लाना चाहता है। भगवान कृष्ण, जिन्हें प्रेम, करुणा और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है, उनकी मूर्ति घर में लाना न सिर्फ आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान न रखा जाए, तो ये शुभ कार्य अशुभ प्रभाव भी डाल सकता है?

श्रीकृष्ण पत्थर की मूर्ति बनाम लोहे की मूर्ति वास्तु नियम

जी हाँ, वास्तु शास्त्र और हिंदू परंपराओं के अनुसार, कृष्ण की मूर्ति को घर में स्थापित करते समय कुछ ऐसी गलतियाँ होती हैं, जो न सिर्फ पूजा की प्रभावशीलता को कम करती हैं, बल्कि घर की सकारात्मकता को भी प्रभावित कर सकती हैं। इस ब्लॉग में, हम तीन ऐसी बड़ी गलतियों के बारे में विस्तार से बात करेंगे, जिनसे आपको हर हाल में बचना चाहिए। साथ ही, हम आपको बताएंगे कि इन गलतियों से कैसे बचा जाए, और सही तरीके से मूर्ति स्थापना कैसे करें। इसके अलावा, हम वास्तु शास्त्र और परंपराओं के आधार पर कुछ प्रूफ्स और उदाहरण भी देंगे, ताकि आपको पूरी बात समझने में आसानी हो।

तो, चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं कि भगवान कृष्ण की मूर्ति घर लाते समय किन गलतियों से बचना है और क्यों ये इतना महत्वपूर्ण है।

1. गलत सामग्री की मूर्ति का चयन: क्यों है ये गलती इतनी बड़ी?

श्रीकृष्ण पत्थर की मूर्ति बनाम लोहे की मूर्ति वास्तु नियम

जब भी हम अपने घर के लिए भगवान की मूर्ति खरीदने जाते हैं, तो सबसे पहले उसकी खूबसूरती और कीमत पर ध्यान देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि मूर्ति की सामग्री भी उतनी ही महत्वपूर्ण है? जी हाँ, वास्तु शास्त्र और हिंदू परंपराओं के अनुसार, मूर्ति किस सामग्री से बनी है, ये बहुत मायने रखता है।

क्या गलत है?

कई बार लोग बिना सोचे-समझे लोहा, स्टेनलेस स्टील, या एल्युमिनियम जैसी धातुओं से बनी मूर्तियाँ खरीद लेते हैं। ये धातुएँ पूजा के लिए उपयुक्त नहीं मानी जातीं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन धातुओं को अशुद्ध माना जाता है, और ये नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकती हैं।

वहीं, पारंपरिक सामग्रियाँ जैसे पत्थर, लकड़ी, सोना, चाँदी, तांबा, या पंचलोह (पाँच धातुओं का मिश्रण) से बनी मूर्तियाँ शुभ मानी जाती हैं। ये सामग्रियाँ सकारात्मक ऊर्जा को संचारित करने में मदद करती हैं और पूजा के दौरान भक्ति का माहौल बनाती हैं।

प्रूफ और उदाहरण

  • वास्तु शास्त्र: प्राचीन वास्तु ग्रंथों में साफ लिखा है कि पूजा के लिए उपयोग की जाने वाली मूर्तियाँ ऐसी सामग्रियों से बननी चाहिए, जो शुद्ध हों और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाएँ। लोहा और स्टेनलेस स्टील को अक्सर औद्योगिक उपयोग के लिए माना जाता है, न कि पूजा के लिए।
  • हिंदू परंपराएँ: बड़े मंदिरों जैसे तिरुपति बालाजी या इस्कॉन मंदिर में आप देखेंगे कि मूर्तियाँ हमेशा पत्थर, सोना, या अन्य शुद्ध धातुओं से बनी होती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये सामग्रियाँ भगवान की ऊर्जा को ग्रहण करने और उसे भक्तों तक पहुँचाने में सक्षम होती हैं।
  • HerZindagi का लेख: एक लेख में बताया गया कि लोहे से बनी मूर्तियाँ घर में रखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि ये धातु ऊर्जा को अवरुद्ध करती है।

क्या करें?

  • हमेशा पत्थर, लकड़ी, सोना, चाँदी, तांबा, या पंचलोह से बनी मूर्तियाँ चुनें।
  • अगर आप धातु की मूर्ति नहीं खरीद सकते, तो उच्च गुणवत्ता वाले चित्र या फोटो फ्रेम का उपयोग करें।
  • मूर्ति खरीदते समय दुकानदार से सामग्री के बारे में जरूर पूछें और सुनिश्चित करें कि वह पूजा के लिए उपयुक्त हो।

प्रैक्टिकल टिप

अगर आप बाजार में मूर्ति खरीदने जा रहे हैं, तो एक छोटा टेस्ट करें। मूर्ति को छूकर देखें कि उसका वजन और बनावट कैसी है। पत्थर या धातु की मूर्तियाँ भारी और ठोस होती हैं, जबकि स्टेनलेस स्टील या एल्युमिनियम हल्का और सस्ता लगता है।

2. गलत दिशा या स्थान में मूर्ति रखना: वास्तु दोष का कारण

श्रीकृष्ण मूर्ति पूर्वोत्तर दिशा वास्तु टिप्स

दूसरी सबसे बड़ी गलती जो लोग करते हैं, वो है मूर्ति को गलत दिशा या गलत स्थान पर रखना। आपने कितनी बार देखा होगा कि लोग मूर्ति को कहीं भी, जैसे बेडरूम की शेल्फ पर या शौचालय के पास वाले कमरे में रख देते हैं? ये न सिर्फ वास्तु शास्त्र के खिलाफ है, बल्कि घर में नकारात्मक ऊर्जा को भी न्योता देता है।

क्या गलत है?

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा स्थल को हमेशा पूर्वोत्तर दिशा (ईशान कोण) में होना चाहिए। ये दिशा सकारात्मक ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत मानी जाती है। साथ ही, मूर्ति का मुख पूर्व या पश्चिम की ओर होना चाहिए, ताकि भक्त पूजा करते समय सही दिशा की ओर हों।

लेकिन कई बार लोग मूर्ति को बेडरूम, शौचालय के पास, या दक्षिण दिशा में रख देते हैं। ऐसा करने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है, जो परिवार की शांति और समृद्धि को प्रभावित कर सकता है।

प्रूफ और उदाहरण

  • वास्तु शास्त्र: ईशान कोण (पूर्वोत्तर) को देवताओं का स्थान माना जाता है। यहाँ सूर्य की पहली किरणें पड़ती हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं। Live Hindustan के एक लेख में बताया गया कि पूजा स्थल को पूर्वोत्तर में रखने से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  • हिंदू परंपराएँ: बड़े मंदिरों में आप देखेंगे कि मूर्तियाँ हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके स्थापित की जाती हैं। उदाहरण के लिए, इस्कॉन मंदिरों में श्रीकृष्ण की मूर्ति का मुख हमेशा भक्तों की ओर होता है, जो सही दिशा में रखी जाती है।
  • India TV का लेख: एक लेख में सलाह दी गई कि बेडरूम में मूर्ति रखने से बचें, क्योंकि ये स्थान पूजा की पवित्रता को प्रभावित करता है।

क्या करें?

  • पूजा स्थल को पूर्वोत्तर दिशा में बनाएँ।
  • मूर्ति का मुख पूर्व या पश्चिम की ओर रखें।
  • मूर्ति को आँखों के स्तर पर स्थापित करें, ताकि पूजा करते समय सम्मान बना रहे।
  • बेडरूम, शौचालय, या रसोई के पास मूर्ति न रखें। अगर जगह की कमी है, तो एक शांत और शुद्ध कोने का चयन करें।

प्रैक्टिकल टिप

अगर आपको घर में पूर्वोत्तर दिशा ढूँढने में दिक्कत हो रही है, तो एक कम्पास का इस्तेमाल करें। सुबह के समय स Herreraूरज की दिशा देखकर भी आप पूर्व दिशा का अंदाजा लगा सकते हैं।

3. नियमित पूजा और रखरखाव की उपेक्षा: छोटी गलती, बड़ा नुकसान

श्रीकृष्ण मूर्ति पूजा और सफाई वास्तु नियम

तीसरी गलती जो लोग अक्सर करते हैं, वो है मूर्ति की नियमित पूजा और रखरखाव को नजरअंदाज करना। कई बार लोग मूर्ति तो घर ले आते हैं, लेकिन उसे साफ रखने, रोज पूजा करने, या टूटने पर विसर्जन करने की जिम्मेदारी भूल जाते हैं।

क्या गलत है?

हिंदू परंपराओं में मूर्ति को सिर्फ एक मूर्ति नहीं, बल्कि भगवान का स्वरूप माना जाता है। इसलिए, उसकी नियमित पूजा, सफाई, और सम्मान करना बेहद जरूरी है। अगर मूर्ति पर धूल जम जाए, वह टूट जाए, या आप उसकी पूजा करना भूल जाएँ, तो ये न सिर्फ अशुभ माना जाता है, बल्कि घर की सकारात्मक ऊर्जा को भी कम करता है।

प्रूफ और उदाहरण

  • हिंदू परंपराएँ: मंदिरों में पुजारी रोजाना मूर्तियों की सफाई करते हैं, उन्हें फूल-चंदन चढ़ाते हैं, और पूजा करते हैं। ये प्रथा घर में भी लागू होती है। अगर मूर्ति की उपेक्षा की जाए, तो भक्ति का माहौल कमजोर पड़ता है।
  • वास्तु शास्त्र: टूटी हुई मूर्ति को घर में रखना वास्तु दोष का कारण बनता है। HerZindagi के एक लेख में सलाह दी गई कि टूटी मूर्ति को तुरंत नदी में विसर्जित कर देना चाहिए।
  • आम अनुभव: कई लोग बताते हैं कि जब वे मूर्ति की नियमित पूजा करते हैं, तो उन्हें मानसिक शांति और सकारात्मकता का अनुभव होता है। वहीं, उपेक्षा करने पर घर में तनाव बढ़ सकता है।

क्या करें?

  • रोज सुबह और शाम मूर्ति की पूजा करें।
  • मूर्ति को नियमित रूप से साफ करें। इसके लिए मुलायम कपड़े और पानी का इस्तेमाल करें।
  • मूर्ति पर फूल, चंदन, और अगरबत्ती चढ़ाएँ।
  • अगर मूर्ति टूट जाए, तो उसे तुरंत नदी में विसर्जित करें और नई मूर्ति स्थापित करें।
  • मूर्ति को हमेशा शुद्ध और सम्मानजनक स्थान पर रखें।

प्रैक्टिकल टिप

पूजा के लिए एक छोटा रूटीन बनाएँ। सुबह 5-10 मिनट निकालकर मूर्ति को साफ करें, दीपक जलाएँ, और एक मंत्र या भजन गाएँ। इससे न सिर्फ मूर्ति का सम्मान बना बनाए रखने में मदद मिलेगी।

अतिरिक्त टिप्स: मूर्ति स्थापना को और बेहतर बनाएँ

छोटी श्रीकृष्ण मूर्ति घर के मंदिर वास्तु टिप्स

इन तीन मुख्य गलतियों के अलावा, कुछ और बातें हैं जो आपको ध्यान में रखनी चाहिए:

  1. मूर्ति का आकार: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर में 9 इंच से छोटी मूर्तियाँ रखना बेहतर है। बहुत बड़ी मूर्तियों के लिए जटिल पूजा विधियाँ चाहिए, जो घर में करना मुश्किल हो सकता है।
  2. मूर्ति का रूप: हमेशा शांत और आशीर्वाद देने वाले रूप वाली मूर्ति चुनें। उदाहरण के लिए, बाँसुरी बजाते हुए श्रीकृष्ण की मूर्ति प्रेम और शांति का प्रतीक है। युद्धरत या क्रोधित रूप वाली मूर्तियाँ घर में नकारात्मकता ला सकती हैं।
  3. टूटी मूर्ति का विसर्जन: अगर मूर्ति में दरार आ जाए या वह टूट जाए, तो उसे घर में न रखें। ऐसी मूर्ति को सम्मानपूर्वक नदी में विसर्जित करें।
  4. पूजा स्थल का माहौल: पूजा स्थल को हमेशा साफ, शांत, और सुगंधित रखें। अगरबत्ती, फूल, और दीपक का नियमित उपयोग करें।

वास्तु शास्त्र और हिंदू परंपराओं का महत्व

आप सोच रहे होंगे कि ये नियम इतने सख्त क्यों हैं? दरअसल, वास्तु शास्त्र और हिंदू परंपराएँ सिर्फ नियमों का समूह नहीं हैं; ये एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण हैं, जो हमारे जीवन को बेहतर बनाने के लिए बनाए गए हैं।

  • वास्तु शास्त्र: ये प्राचीन भारतीय वास्तुकला का विज्ञान है, जो ऊर्जा के प्रवाह को समझता है। सही दिशा और सामग्री का चयन करके हम अपने घर को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं।
  • हिंदू परंपराएँ: ये हमें सिखाती हैं कि भगवान की मूर्ति सिर्फ एक वस्तु नहीं, बल्कि उनकी दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है। इसलिए, उसका सम्मान और देखभाल करना हमारा कर्तव्य है।

निष्कर्ष: सही तरीके से करें मूर्ति स्थापना, पाएँ श्रीकृष्ण की कृपा

तो दोस्तों, अब आप जान चुके हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति घर लाते समय किन तीन बड़ी गलतियों से बचना है: गलत सामग्री, गलत दिशा, और रखरखाव की उपेक्षा। इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप न सिर्फ अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर सकते हैं, बल्कि श्रीकृष्ण की कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं।

मूर्ति स्थापना कोई जटिल प्रक्रिया नहीं है, बस थोड़ा सा ज्ञान और श्रद्धा चाहिए। तो अगली बार जब आप मूर्ति खरीदने जाएँ, तो इन बातों को जरूर याद रखें। और हाँ, अगर आपको ये ब्लॉग पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करना न भूलें।

कृष्ण की मूर्ति घर लाने से जुड़े 5 सबसे जरूरी FAQs

श्रीकृष्ण मूर्ति FAQs वास्तु टिप्स

1. कृष्ण की मूर्ति किस सामग्री से बनी होनी चाहिए?

सवाल: मैं बाजार में ढेर सारी मूर्तियाँ देखता हूँ, कुछ लोहे की, कुछ प्लास्टिक की, कुछ पत्थर की। तो मुझे कौन सी सामग्री चुननी चाहिए?

जवाब: ये सवाल बहुत जरूरी है, क्योंकि मूर्ति की सामग्री उसकी शुभता और ऊर्जा पर असर डालती है। वास्तु शास्त्र और हिंदू परंपराओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति पत्थर, लकड़ी, सोना, चाँदी, तांबा, या पंचलोह (पाँच धातुओं का मिश्रण) से बनी होनी चाहिए। ये सामग्रियाँ शुद्ध मानी जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती हैं।

लेकिन लोहा, स्टेनलेस स्टील, एल्युमिनियम, या प्लास्टिक से बनी मूर्तियाँ पूजा के लिए उपयुक्त नहीं हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये सामग्रियाँ या तो अशुद्ध मानी जाती हैं या ऊर्जा को अवरुद्ध करती हैं। उदाहरण के लिए, बड़े मंदिरों जैसे इस्कॉन या तिरुपति में आप देखेंगे कि मूर्तियाँ हमेशा पत्थर या शुद्ध धातुओं से बनी होती हैं।

टिप: अगर बजट कम है, तो आप उच्च गुणवत्ता वाला चित्र या फोटो फ्रेम भी चुन सकते हैं। बस सुनिश्चित करें कि वह सम्मानजनक और शुद्ध हो।

श्रीकृष्ण मूर्ति रोजाना पूजा और रखरखाव

2. मूर्ति को घर में कहाँ और किस दिशा में रखना चाहिए?

सवाल: मेरे घर में जगह थोड़ी कम है। क्या मैं मूर्ति को बेडरूम में रख सकता हूँ? और इसे किस दिशा में रखूँ?

जवाब: अच्छा सवाल! वास्तु शास्त्र के अनुसार, मूर्ति को रखने की जगह और दिशा बहुत मायने रखती है। सबसे अच्छा स्थान है पूर्वोत्तर दिशा (ईशान कोण), क्योंकि ये सकारात्मक ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। मूर्ति का मुख पूर्व या पश्चिम की ओर होना चाहिए, ताकि पूजा करते समय आप सही दिशा की ओर हों।

लेकिन ध्यान दें, मूर्ति को बेडरूम, शौचालय, या रसोई के पास कभी न रखें। ऐसा करने से वास्तु दोष हो सकता है, जो घर की शांति को प्रभावित करता है। अगर आपके घर में जगह की कमी है, तो एक शांत और साफ कोने चुनें, जहाँ मूर्ति को आँखों के स्तर पर रख सकें।

प्रूफ: Live Hindustan के एक लेख में बताया गया कि पूर्वोत्तर दिशा में पूजा स्थल बनाने से सूर्य की किरणें सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं। साथ ही, India TV भी सलाह देता है कि बेडरूम में मूर्ति रखने से बचें।

टिप: दिशा चेक करने के लिए सुबह सूरज की रोशनी देखें या कम्पास का इस्तेमाल करें।

3. क्या मैं टूटी हुई मूर्ति को घर में रख सकता हूँ?

सवाल: मेरे पास एक पुरानी कृष्ण मूर्ति है, जिसमें छोटी सी दरार आ गई है। क्या मैं इसे पूजा में रख सकता हूँ?

जवाब: नहीं, दोस्त! टूटी हुई मूर्ति को घर में रखना बिल्कुल भी शुभ नहीं माना जाता। हिंदू परंपराओं में मूर्ति को भगवान का स्वरूप माना जाता है, और उसमें किसी भी तरह की क्षति होना अशुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र भी कहता है कि टूटी मूर्ति वास्तु दोष का कारण बन सकती है।

अगर आपकी मूर्ति में दरार आ गई है या वह टूट गई है, तो उसे सम्मानपूर्वक नदी में विसर्जित कर दें। इसके बाद, आप नई मूर्ति लाकर स्थापित कर सकते हैं। HerZindagi के एक लेख में भी यही सलाह दी गई है कि टूटी मूर्ति को तुरंत विसर्जित करना चाहिए।

टिप: मूर्ति को हमेशा सावधानी से रखें और नियमित रूप से उसकी जाँच करें, ताकि कोई क्षति न हो।

4. मूर्ति की पूजा और रखरखाव कैसे करना चाहिए?

सवाल: मैं रोज व्यस्त रहता हूँ। क्या मूर्ति की पूजा के लिए कोई आसान रूटीन है? और इसे साफ कैसे रखूँ?

जवाब: समझ गया! आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में समय निकालना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन मूर्ति की पूजा और रखरखाव के लिए ज्यादा समय की जरूरत नहीं है। बस थोड़ा सा ध्यान और श्रद्धा चाहिए।

वास्तु और परंपराओं के अनुसार, आपको ये करना चाहिए:

  • रोजाना पूजा: सुबह और शाम 5-10 मिनट निकालकर मूर्ति को दीपक, अगरबत्ती, और फूल चढ़ाएँ। एक छोटा सा मंत्र या भजन गाएँ, जैसे “हरे कृष्ण हरे राम”।
  • सफाई: मूर्ति को हफ्ते में एक बार मुलायम कपड़े और पानी से साफ करें। अगर मूर्ति पर धूल जम जाए, तो ये अशुभ माना जाता है।
  • सम्मान: मूर्ति को हमेशा साफ और शुद्ध स्थान पर रखें।

प्रूफ: हिंदू परंपराओं में मंदिरों में पुजारी रोज मूर्तियों की सफाई और पूजा करते हैं। यही नियम घर पर भी लागू होता है।

टिप: सुबह जल्दी उठकर 5 मिनट की पूजा को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इससे आपका दिन सकारात्मक शुरू होगा।

5. क्या मूर्ति का आकार और रूप मायने रखता है?

सवाल: मैंने देखा है कि कुछ मूर्तियाँ छोटी होती हैं, कुछ बड़ी। और कुछ में कृष्ण बाँसुरी बजा रहे हैं, तो कुछ में युद्धरत हैं। मुझे कौन सी चुननी चाहिए?

जवाब: बिल्कुल, ये भी एक जरूरी सवाल है! वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर के लिए मूर्ति का आकार और रूप दोनों मायने रखते हैं।

  • आकार: घर में 9 इंच से छोटी मूर्तियाँ रखना बेहतर है। बहुत बड़ी मूर्तियों के लिए जटिल पूजा विधियाँ चाहिए, जो घर में करना मुश्किल हो सकता है।
  • रूप: हमेशा शांत और आशीर्वाद देने वाला रूप चुनें, जैसे बाँसुरी बजाते हुए श्रीकृष्ण या बाल कृष्ण। ये प्रेम और शांति का प्रतीक हैं। युद्धरत या क्रोधित रूप वाली मूर्तियाँ घर में नकारात्मक ऊर्जा ला सकती हैं।

प्रूफ: HerZindagi के लेख में सुझाव दिया गया कि घर में शांत रूप वाली मूर्तियाँ ही रखें, ताकि सकारात्मक माहौल बना रहे।

टिप: मूर्ति चुनते समय उसका चेहरा देखें। अगर वह मुस्कुराता हुआ और शांत लगे, तो वही परफेक्ट है!

निष्कर्ष: सही जानकारी के साथ करें मूर्ति स्थापना

तो दोस्तों, अब आपके सारे डाउट्स क्लियर हो गए होंगे, है ना? भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति घर लाना एक बहुत ही शुभ और आध्यात्मिक कदम है, लेकिन इसे सही तरीके से करना जरूरी है। सही सामग्री, दिशा, रखरखाव, और रूप का ध्यान रखकर आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा और श्रीकृष्ण की कृपा पा सकते हैं।

अगर आपके मन में और कोई सवाल है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर पूछें। और हाँ, अगर आपको ये FAQs पसंद आए, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें। इससे और लोग सही जानकारी पा सकेंगे।

आपके अनुभव: क्या आपने कभी मूर्ति स्थापना के दौरान कोई खास अनुभव या गलती की है? हमें कमेंट में बताएँ, हमें आपकी कहानी सुनने में मजा आएगा!

संदर्भ (References for Proofs)

  1. HerZindagi: “Never Place Lord Krishna Murti In These Directions Or Places At Home” – गलत सामग्री और दिशा के नुकसानों की जानकारी।
  2. Live Hindustan: “Vastu Shastra Tips for Home Temple Idols” – पूजा स्थल के लिए वास्तु नियम।
  3. India TV: “Vastu Tips for Home Temple” – बेडरूम और शौचालय के पास मूर्ति न रखने की सलाह।
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